शहीद विजय सिंह पाथिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल 2025 के आखिरी दिन भारतीय मुक्केबाजों के लिए इतिहास रच दिया. सुबह के पहले ही सेशन में भारत की चार महिला मुक्केबाजों ने लगातार चार गोल्ड मेडल जीतकर पूरे देश को गर्व का पल दिया. जिसमें नूपुर श्योराण का नाम भी शामिल रहा. इस टूर्नामेंट में 20 भारतीय मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया. इसमें 10 पुरुष और 10 महिला मुक्केबाज थीं. इनमें से 15 मुक्केबाज फाइनल में पहुंचे और 9 ने गोल्ड मेडल जीते.
एक के बाद एक 4 गोल्ड मेडल
सबसे पहले रिंग में उतरीं हरियाणा की मिनाक्षी हुड्डा ने 48 किग्रा वर्ग में उज्बेकिस्तान की फरजोना फोजिलोवा को एकतरफा मुकाबले में 5-0 से हराकर भारत को दिन का पहला गोल्ड दिलाया. इसके बाद प्रीति ने 54 किग्रा में इटली की सिरीन चाराबी को भी 5-0 से धूल चटाई. तीसरा गोल्ड अरुंधति चौधरी ने 70 किग्रा में उज़्बेकिस्तान की जोकीरोवा अजीजा को 5-0 से हराकर पूरा किया. दिन का चौथा गोल्ड नूपुर श्योराण ने 80+ किग्रा वर्ग में उज्बेकिस्तान की सोतिम्बोएवा ओल्टिनॉय को 5-0 से हराकर हासिल किया.
नूपुर श्योराण ने अपने वादे की लाज रखी
हरियाणा की इस पांच बार की नेशनल चैंपियन के लिए यह जीत सिर्फ गोल्ड मेडल नहीं, बल्कि अपने आप से किया गया वादा पूरा करने की कहानी थी. हाल ही में वर्ल्ड चैंपियनशिप 2025 में सिल्वर मेडल जीतने के बाद नूपुर ने कहा था कि वह वर्ल्ड कप में सोना लेकर ही घर लौटेंगी. उन्होंने वो वादा निभा दिया. इस ऐतिहासिक जीत के बाद टीवी9 इंग्लिश से खास बातचीत में नूपुर ने कहा, ‘गोल्ड मेडल जीतकर वाकई बहुत अच्छा लग रहा है. मैं आखिरकार चैन की नींद सो पाऊंगी. मैं निश्चित रूप से 8-9 घंटे सोऊंगी, क्योंकि वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने के बाद मेरी नींद उड़ गई थी.’
तकनीकी बदलावों से मिली मदद
बता दें, मुक्केबाजी उनके खून में है. वे दो बार के एशियन गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट और किंवदंती मुक्केबाज हवा सिंह की पोती हैं. रिंग में कदम रखते ही उन पर विरासत का दबाव रहता है, लेकिन नूपुर ने साबित कर दिया कि वह इस विरासत को बोझ नहीं, बल्कि ताकत बनाकर आगे बढ़ा रही हैं. बता दें, वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद नूपुर ने अपने कोचों के साथ मिलकर खासतौर पर अपनी खेल शैली में बदलाव किए थे.
नूपुर ने टीवी9 इंग्लिश को बताया, ‘हमने मेरे अटैक पर ज्यादा काम किया क्योंकि मैं ज्यादातर काउंटर-बॉक्सर की तरह खेलती हूं और क्रॉस पंच का इस्तेमाल करती हूं. इसलिए मैंने अपने अटैकिंग गेम को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और आज आपने देखा होगा कि मेरी प्रतिद्वंदी ज्यादा अटैक नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसे पता था कि मैं जोरदार काउंटर पंच खेलती हूं. इसलिए मैंने अपने कोचों के मार्गदर्शन में अपनी अटैकिंग शैली में सुधार किया.’