Ranji Trophy: रेलवे स्टेशन पर सोया, वेटर का किया काम, अब मुंबई की टीम में दिखाया दम

Ranji Trophy: रांची के रहने वाले बाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने साल 2017 में मुंबई में कदम रखा. इस दौरान इस खिलाड़ी का सपना एक अच्छा क्रिकेटर बनना था. इस तेज गेंदबाज ने करीब 8 सालों तक खूब संघर्ष किया. वो 12 लोगों के साथ एक झुग्गी बस्ती के एक कमरे में रहता था. 8 सालों तक उन्होंने टेबल पर वेटरिंग की, उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया, तो रेलवे स्टेशन पर सोए. यहां तक कि अपनी जीविका चलाने के लिए एक स्थानीय रसोई में सुशी बनाना भी सीखा, लेकिन इस खिलाड़ी ने अपने सपने को नहीं छोड़ा. अब रांची के रहने वाले इरफान उमैर को उनके संघर्ष का इनाम मिल गया है.

इरफान को मिली मुंबई टीम में जगह

8 साल के लंबे संघर्ष के बाद इरफान उमैर को मुंबई की रणजी टीम में जगह मिल गई है. 15 अक्टूबर को उन्होंने जम्मू-कश्मीर के खिलाफ रणजी में डेब्यू किया. इस खिलाड़ी के इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे एक लंबा संघर्ष है. उमैर ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में बताया कि मेरे लिए मुंबई पहुंचना समस्या नहीं थी, बल्कि पेट कैसे भरा जाए, ये समस्या थी. मैं 5500 रुपये लेकर आया था और जल्द ही सब खत्म हो गया. मेरे एक दोस्त, जिसके साथ मैं एक कमरा शेयर करता था, ने मुझे सलाह दी कि मैं कैटरिंग का काम कर सकता हूं. मैंने ये काम करना शुरू किया.

देर से की करियर की शुरुआत

इरफान ने बताया कि मैंने 17 साल की एज में क्रिकेट पर फोकस किया. मेरे माता-पिता इस बात से खुश नहीं थे कि वो क्रिकेट खेले. उन्होंने एक शर्त रखी-उसे दसवीं की परीक्षा पास करनी होगी. इरफान के पिता सऊदी अरब में काम करते थे और घर लौट आए थे. आखिरकार उमैर अपने चाचा के पास गया और उन्हें समझाया कि क्रिकेट आगे बढ़ सकता है.

मुंबई में इरफान की मुलाकात एक स्थानीय कोच प्रशांत शेट्टी से हुई, जिन्होंने उसे शिवाजी पार्क में गेंदबाजी करते देखा और बांद्रा पूर्व के एक फेमस क्लब एमआईजी से बात की. इस दौरान पेट भरने के लिए मुझे वेटर की नौकरी करनी पड़ी. ये मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा समय था. मैंने खुद से पूछा, “तुम यहां क्या करने आए हो और क्या कर रहे हो? मैंने अपने परिवार को नहीं बताया, लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था”. इरफान ने बताया कि वो 300 रुपये रोज कमाते थे.

डबल शिफ्ट में किया काम

हालांकि इस दौरान कई परेशानियां उनके सामने आई. इरफान उमैर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के नियम से वाकिफ नहीं थे, जिसके अनुसार मुंबई के लिए खेलने के इच्छुक किसी बाहरी व्यक्ति को रजिस्ट्रेशन के लिए कम से कम एक साल तक मुंबई का निवासी होना जरूरी है और उसके पास रहने का वैध प्रमाण भी होना चाहिए. उमैर ने कागजी कार्रवाई की और किसी तरह अपना पता बदलवाया. फिर भी पंजीकरण के एक साल बाद ही मुंबई के लिए खेलना संभव हो पाया.

उन्होंने बताया कि पहले, मैं हफ्ते में कुछ दिन कैटरिंग का काम करता था, लेकिन फिर मैंने इसे बढ़ा दिया. मुझे उस एजेंट को 8,000 रुपये देने पड़े जिसने मेरे दस्तावेज़ बनवाने में मदद की थी. मेरे पास अगले महीने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए मैंने कैटरिंग की डबल शिफ्ट में काम किया.

सुशी बनाना सीखा

फिर कोविड आया. उमैर, कई लोगों की तरह, मुंबई में फंस गए. उसके परिवार ने उसे यहीं रहने की सलाह दी, लेकिन पेट भरना करना एक चुनौती थी. उसके रूममेट के पास एक क्रेडिट कार्ड था, जिसका इस्तेमाल दोनों गुजारा करने के लिए किया, उस समय उसे ये नहीं पता था कि भुगतान पर ब्याज उनकी मुश्किलें बढ़ा देगा.

इरफान ने बताया कि हर महीने, हम सिर्फ ब्याज के रूप में 3,500 रुपये से ज्यादा चुकाते थे. ये हमारे लिए बहुत बड़ी रकम थी. शुक्र है कि मेरे दोस्त को विदेश में नौकरी मिल गई और उसने वो पैसा चुका दिया. मैंने उससे कहा कि जब भी मुझे पैसे मिलेंगे, मैं अपना हिस्सा चुका दूंगा, लेकिन साल बीतते जा रहे थे और अनिश्चितता का माहौल था. इस दौरान इरफान ने इस्लाम जिमखाना से अपना क्लब बदलकर सीसीआई करने का फैसला किया और बांद्रा के एक पूर्वी एशियाई रेस्टोरेंट में नौकरी कर ली, जहां उन्होंने सुशी बनाना सीखा.

जब ट्रायल नहीं दे पाए इरफान

इरफान ने आगे बताया कि किसी ने उन्हें एक्स्ट्रा पैसे कमाने के लिए पेशेवर टेनिस बॉल क्रिकेट खेलने का सुझाव दिया. जल्द ही, इरफान टेनिस बॉल क्रिकेट में शोहरत हासिल कर ली और हर कोई उन्हें अपनी टीम में चाहता था. फिर इंडियन स्ट्रीट प्रीमियर लीग (ISPL) नामक एक टेनिस बॉल क्रिकेट चैंपियनशिप आयोजित हुई और उन्हें फाल्कन राइजर्स हैदराबाद ने 16 लाख रुपये में अपनी टीम में शामिल किया. उमैर ने कहा, “इससे मुझे किचन से हटकर क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली.” उन्हें किचन में अपनी आखिरी तनख्वाह आज भी याद है, 12,000 रुपये.

इस दौरान एमसीए द्वारा आयोजित एक टैलेंट हंट के दौरान उन्हें चुना गया, जहां सीनियर सेलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष संजय पाटिल ने उन्हें देखा और मुंबई की सीनियर टीम में नेट बॉलर के रूप में शामिल किया. पिछले सीजन में उन्हें चयन ट्रायल के लिए चुना गया था, लेकिन किस्मत ने उन्हें फिर से परखा. ट्रायल वाले दिन उनके मकान मालिक ने उन्हें यह कहते हुए कमरा खाली करने को कहा कि वो देर से घर लौटते हैं. उमैर ट्रायल के लिए नहीं आए. एक और मौका हाथ से निकल गया.

अभिषेक नायर का मिला साथ

फिर मुंबई टी20 लीग आई. इरफान ने बताया कि वहां मेरी मुलाकात पूर्व भारतीय क्रिकेटर अभिषेक नायर से हुई और तभी चीजें बदल गईं. उन्होंने मेरा साथ दिया और मुझसे कहा कि मुझे बस कड़ी मेहनत जारी रखनी है. बाद में मुझे मुंबई टीम के लिए चुना गया. अब मुझे लगता है कि सारी मेहनत रंग लाई है, अब मुझे अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है.

मुंबई रणजी टीम के कप्तान शार्दुल ठाकुर का कहना है कि इरफान एक साधारण परिवार से आते हैं और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बेताब हैं. केएससीए और बुची बाबू में धीमी पिचों पर भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है.