Himanshi Tokas: दुनिया की नंबर 1 जूडो खिलाड़ी बनीं हिमांशी टोकस, दादी की झाड़ू ने बनाया चैंपियन!

दिल्ली की रहने वाली हिमांशी टोकस ने दुनिया भर में भारत का मान बढ़ाया है. वो जूडो में दुनिया की नंबर-1 खिलाड़ी बन गई हैं. 20 साल की हिमांशी की इस सफलता के पीछे उनकी दादी का बहुत बड़ा हाथ है, जिन्होंने हिमांशी को जूडो न छोड़ने की सलाह दी थी. अगर हिमांशी अपनी मां की बात मानती तो आज वो इस खेल में इतिहास नहीं रच पातीं. दिल्ली के मुनिरका गांव की रहने वाली ये खिलाड़ी जूडो की जूनियर महिला वर्ग की रैंकिंग में टॉप पर पहुंच गई हैं. ये उपलब्धि हासिल करने वाली वो भारत की पहली जूडोका हैं.

हिमांशी कैसे बनीं नंबर-1?

हिमांशी ने जूडो की इतनी बड़ी खिलाड़ी कैसे बनीं? इसकी कहानी काफी दिलचस्प है. उन्होंने बताया कि बचपन में घर में जूडो की प्रैक्टिस करने के दौरान मुझे चोट लग गई थी. इससे मेरी आंखें सूज गईं और शरीर पर भी चोटें आईं. इससे मेरी मां काफी चिंतित हो गईं. उन्हें डर था कि चेहरे पर एक स्थायी निशान मेरी शादी में रुकावट डाल सकता है.

हिमांशी ने आगे बताया कि मेरी मां ने जूडो छोड़ने को कह दिया. हालांकि मैंने ऐसे नहीं किया और अपने पड़ोस में एक स्थानीय मिश्रित मार्शल आर्ट एकेडमी में एडमिशन ले लिया. अगर हिमांशी ने अपनी मां की सलाह मानी होती, तो वो इतिहास नहीं रच पातीं. हिमांशी ने जूडो में जूनियर महिलाओं की 63 किलोग्राम भार वर्ग में दुनिया की नंबर-1 खिलाड़ी बन गई हैं. इसके अलावा हिमांशी ने पिछले हफ्ते इंडोनेशिया में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर एशिया में नंबर-1 जूडोका का मुकाम हासिल किया.

दादी और नानी ने दिया साथ

जूनियर महिला वर्ग में दुनिया की नंबर-1 जूडोका हिमांशी ने आगे बताया कि मां की सख्ती के बावजूद मेरी दादी और नानी ने मेरा पूरा साथ दिया और मुझे जूडो जारी रखने के लिए कहा. मेरी दादी हाथ में झाड़ू लेकर मेरे पीछे पड़ी थीं और मुझे खेल न छोड़ने की चेतावनी दे रही थीं. वो बिल्कुल स्पष्ट थीं कि मैं जूडो नहीं छोड़ूंगी.

हिमांशी ने बताया कि जूडो में देश के लिए पहला स्थान हासिल करने पर बहुत अच्छा लग रहा है. मैं अच्छा प्रदर्शन जारी रखना चाहती हूं और भारत के लिए और मेडल जीतना चाहती हूं. हिमांशी के कोच यशपाल सोलंकी ने बताया कि हिमांशी के पिता रवि टोकस ने ही साल 2020 में द्वारका स्थित सोलंकी एकेडमी ऑफ फिटनेस एंड कॉम्बैट स्पोर्ट्स (AFACS) में हिमांशी का दाखिला कराया था.

हिमांशी के पिता भी रह चुके हैं जूडो के खिलाड़ी

हिमांशी ने कोच ने बताया कि रवि और मैं अच्छे दोस्त हैं. हिमांशी के पिता एक जूडो खिलाड़ी थे और कई टूर्नामेंटों में हिस्सा ले चुके थे, लेकिन उन्होंने कभी भी इस खेल को पेशे के रूप में नहीं अपनाया. हिमांशी मुनिरका के एक स्थानीय क्लब में प्रैक्टिस करती थीं, लेकिन रिजल्ट अच्छे नहीं आ रहे थे नहीं थे, इसलिए उनके पिता उसे मेरी अकादमी में ले आए. तब से हिमांशी मुझसे कोचिंग ले रही है. हिमांशी इस समय भोपाल में SAI के NCoE केंद्र में यशपाल सोलंकी की कोचिंग में प्रशिक्षण ले रही हैं.