मोबाइल है सेहत का दुश्मनImage Credit source: Pexels
Sarcoma Cancer: आजकल जिस तरह की लाइफस्टाइल युवा लोग जी रहे हैं, इन्हें जल्दी ही सरकोमा नाम का कैंसर अपनी गिरफ्त में ले सकता है. आपको बता दें कि सरकोमा के ऐसा कैंसर है जो हड्डियों, सॉफ्ट टिश्यूज जैसे मांसपेशियां, फैट, नसें या ब्लड वेसल से शुरू होता है. बाकी जितने तरह के कैंसर होते है उनमें से सरकोमा कम स्तर पर होता है लेकिन इसके मामले युवाओं और किशोरों में अधिक पाए जा रहे हैं. सवाल ये है कि इस तरह का कैंसर आखिर अधिक फैल क्यों रहा है? युवाओं में इसके होने के कारण क्या है?
आजकल की बैठे-बैठे वाली लाइफस्टाइल यानी ज्यादा स्क्रीन टाइम, खराब खानपान, ज्यादा तनाव और कम फिजिकल एक्टिविटी क्या युवाओं में सरकोमा के खतरे को बढ़ा रही है? मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (मस्क्यूलोस्केलेटल, पीडियाट्रिक) विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. विवेक वर्मा ने इन्ही सब कारणों को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने बताया कि किस तरह किशोर और युवा लोगों की लाइफस्टाइल उनको कैंसर के खतरे की तरफ ले जा रही है. जिनको समय रहते बदलाव की जरूरत है ताकि किसी बड़ी और गंभीर समस्या से बच सकें.
किन कारणों से कैंसर शिकार बना रहा?
लगातार स्क्रीन के सामने बैठे रहना
डॉ. विवेक वर्मा बताते हैं किजिस तरह से इंटरनेट की सुविधा आजकर मिल रही है तो उसका नुकसान भी उतना ही हो रहा है जैसे- लंबे समय तक लैपटॉप पर काम करते रहना वो भी लगातार बैठ कर. टीवी लगातार देखते रहना, मोबाइल को एकटक देखते हुए स्क्रॉल करते रहना. ये सब आदतें आपके शरीर को सुस्त बना देती है.इससे मोटापा, इंसुलिन रेजिस्टेंस और शरीर में सूजन जैसी दिक्कतें बढ़ रही हैं. हालांकि सरकोमा सीधे आपको शिकार नहीं बनाता जैसे बाकी कैंसर करते हैं- कोलन या ब्रेस्ट कैंसर की तरह. लेकिन लगातार सुस्त रहने से शरीर के सेल्स में बदलाव की संभावना बढ़ जाती है. इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और आपका शरीर शुरुआती कैंसर सेल्स से लड़ने में सक्षम नहीं रहता.
खराब डाइट और पोषण की कमी
फास्ट डिलीवरी के कारण युवाओं में तेजी से जंक खाने की आदत बढ़ रही है. कई लोग प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा शक्कर, ज्यादा फैट और साग-सब्जियां और फल कम खा रहे हैं. इस तरह की डाइट आप ले रहे हैं तो शरीर में जरूरी विटामिन और मिनरल की कमी हो जाती है. खराब खान-पान इम्यूनिटी को कमजोर कर सकता है और शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा सकता है. भले ही कोई डाइट सरकोमा से सीधे तौर पर जुड़ी न हो लेकिन खराब डाइट पैटर्न से सूजन और डीएनए डैमेज का खतरा बढ़ सकता है. जिससे कैंसर की शिकायत हो सकती है. इसीलिए संतुलित आहार लें ताकि हमारे शरीर की सेल्स हेल्दी और स्वस्थ रहें.
लगातार तनाव और हार्मोनल बदलाव
लगातार मानसिक तनाव से शरीर में कोर्टिसोल और दूसरे स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ हुआ रहता है. इम्यून सिस्टम कमजोर रहता है और शरीर में सूजन भी आने लगती है. ज्यादा तनाव से शरीर पर क्या असर होता है, ये जानना भी जरूरी है ताकि बीमारी की गंभीरता भी पता चले जैसे- ज्यादा तनाव लेने से ट्यूमर ग्रोथ कई तरीकों से प्रभावित होती है और सेल्स खुद को रिपेयर करने में कमजोर पड़ जाती हैं. आपको बता दें कि तनाव का सरकोमा से सीधा संबंध तो नहीं है लेकिन समय के साथ ये कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारणों में से हो सकता है.
ग्रोथ के सालों में फिजिकल एक्टिविटी की कमी
किशोरावस्था और युवावस्था में शरीर तेजी से बढ़ता है. इस समय हड्डियां और मांसपेशियां ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं. अगर आप दिनभर लेटे रहते हैं या किसी भी खेल या शारीरिक एक्टिविटी में भाग नहीं लेते हैं तो मस्क्युलोस्केलेटल सिस्टम कमजोर हो सकता है जिससे शरीर की सेल्स में होने वाले बदलावों से लड़ने के लिए शरीर कमजोर हो जाता है. फिजीकल एक्टिविटी इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन, इम्यून सिस्टम और डिटॉक्स प्रोसेस बेहतर होते हैं, जो कई बीमारियों से आपको बचा सकते हैं.
शरीर को हेल्दी बनाने के लिए क्या करें
- खानपान सुधारें, फल, सब्जियां, नट्स और घर का पका हुआ खाना खाएं
- व्यायाम जरूर करें. 10 मिनट की ही करें लेकिन आदत में इसे शामिल करें
- सुबह की सैर की आदत डालें
- स्क्रीन को तभी इस्तेमाल करें जब बहुत जरूरी हो.
- डिजीटल डिटॉक्स को कम करें, तनाव खुद कम रहेगा.
बचाव की शुरुआत जागरूकता से
अभी तक कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि स्क्रीन टाइम, खराब डाइट, तनाव या व्यायाम की कमी सीधे सरकोमा का कारण बनते हैं. लेकिन ये सभी लाइफस्टाइल फैक्टर्स शरीर की नैचुरल डिफेंस सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं और ऐसा माहौल बना सकते हैं जिसमें कई बीमारियों – जिनमें कुछ कैंसर भी शामिल हैं का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि बच्चों और युवाओं को सही खानपान, रोजाना एक्टिविटी, तनाव से निपटने के तरीके और डिजिटल डिटॉक्स की आदतें सिखाई जाएं. आज उठाए गए छोटे-छोटे कदम आने वाली पीढ़ियों की सेहत को मजबूत बना सकते हैं.