कोलकाता टेस्ट गंवाने के बाद भारतीय टीम अब गुवाहाटी टेस्ट में भी हार की कगार पर पहुंच गई है. गुवाहाटी टेस्ट के तीसरे दिन साउथ अफ्रीका ने भारत पर 314 रनों की बढ़त हासिल कर ली है और अभी उसके 10 विकेट बचे हैं और खेल के दो दिन बाकी हैं. यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर भारतीय बल्लेबाज कर क्या रहे हैं? कोलकाता में स्पिन फ्रेंडली पिच पर सरेंडर करने वाली टीम इंडिया गुवाहाटी की पाटा पिच पर भी सरेंडर करती नजर आई. इस बार स्पिनर्स नहीं बल्कि साउथ अफ्रीकी तेज गेंदबाज मार्को यानसन ने अपनी पेस से भारतीय बल्लेबाजों को चित किया. सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि टीम इंडिया के बल्लेबाज ना पेस खेल पा रहे हैं और ना ही स्पिन? आइए आपको बताते हैं इसकी वजह.
गौतम गंभीर की सोच
खिलाड़ी हो या टीम वह किसी सोच के साथ ही आगे बढ़ती है और टीम इंडिया की सोच के पीछे गौतम गंभीर हैं. हेड कोच गौतम गंभीर ने टेस्ट टीम में बैटिंग स्पेशलिस्ट की बजाए ऑलराउंडर्स पर बहुत ज्यादा दांव खेला हुआ है. सबसे बड़ा उदाहरण है जडेजा. रेड्डी. वॉशिंगटन सुंदर जैसे तीन ऑलराउंडर टीम में हैं. नीतीश रेड्डी को गुवाहाटी में टीम ने बॉलिंग में कुछ खास इस्तेमाल नहीं किया और बैटिंग में भी वह फेल रहे. गौतम गंभीर से पहले टीम इंडिया टेस्ट मैच में स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों पर ज्यादा भरोसा रखती थी और इससे उसे फायदा भी होता था लेकिन अब इसके बिल्कुल उलट हो रहा है और नतीजा दुनिया के सामने है.
टैलेंट और उम्र के नाम पर टीम का बैलेंस बिगड़ा
इसमें कोई दो राय नहीं है कि हर टीम टैलेंटेड खिलाड़ियों और कम उम्र के खिलाड़ियों पर ज्यादा दांव खेलना चाहती है लेकिन इसका भी एक हद होनी जरूरी है. गुवाहाटी टेस्ट मैच के दौरान कमेंट्री करते हुए पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने कहा कि टीम इंडिया को विराट कोहली. रोहित शर्मा. अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा के एक साथ जाने से दिक्कतें हो रही हैं. ये चारों 80 से ज्यादा टेस्ट मैच खेले. चारों स्पेशलिस्ट बल्लेबाज थे. अब इनके ना होने से युवा खिलाड़ियों पर भार आ गया है. नतीजा वह क्वालिटी बॉलिंग अटैक के आगे बिखर रहे हैं.
अति आक्रामकता ले डूबी
मौजूदा दौर में भारतीय क्रिकेट टीम बेहद आक्रामक क्रिकेट खेलने की कोशिश कर रही है. गुवाहाटी टेस्ट में भी कुछ ऐसा देखने को मिला. ऋषभ पंत. ध्रुव जुरेल जैसे खिलाड़ी आक्रामक शॉट खेलकर आउट हुए. जल्दी से जल्दी रन बनाने की ये होड़ टीम इंडिया को चोट पहुंचा रही है. टेस्ट मैच में अच्छे डिफेंस की काफी जरूरत होती है और यहां भारत के युवा टेस्ट क्रिकेटर काफी पीछे नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि क्वालिटी स्पिन गेंदबाजी और पेस बॉलिंग अटैक के सामने टीम को दिक्कत हो रही है.
टेस्ट स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों की कमी
मौजूदा टीम इंडिया में जो खिलाड़ी खेल रहे हैं वह पूरी तरह से टेस्ट स्पेशलिस्ट नहीं हैं. साईं सुदर्शन ने व्हाइट बॉल क्रिकेट में जरूर रन बनाए हैं लेकिन उन्हें डोमेस्टिक क्रिकेट का खास अनुभव नहीं. ध्रुव जुरेल भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अनुभवहीन हैं. वॉशिंगटन सुंदर की भी ऐसी ही कहानी है. बड़ी बात ये है कि करुण नायर. सरफराज खान. अभिमन्यु ईश्वरन जैसे खिलाड़ी. जिन्होंने भारतीय सरजमीं पर काफी रन बनाए हैं वह टीम का हिस्सा ही नहीं हैं. ऐसे में टीम इंडिया को आने वाले वक्त में टेस्ट स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों की पहचान करनी होगी वरना नतीजा ऐसा ही होगा.