ग्रेटर नोएडा का बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (बीआईसी) एक बार फिर ग्लोबल मोटरस्पोर्ट्स का केंद्र बनने की राह पर है. फॉर्मूला-1 रेस आयोजित करने वाली एक कंपनी ने यमुना विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से संपर्क साधा है. अगर, दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाता है, तो भारत में मोटरस्पोर्ट्स को नई ऊंचाइयां मिल सकती हैं. बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर आखिरी बार साल 2013 में एफ-1 रेस का आयोजन हुआ था. इसके बाद यह सर्किट एफ-1 के कैलेंडर से बाहर हो गया था.
बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में फिर गूंजेगी फॉर्मूला-1 की रफ्तार
पिछले कुछ दिनों में बीआईसी ने इंटरनेशनल लेवल पर ध्यान खींचना शुरू कर दिया है. चार दिन पहले जापानी प्रतिनिधिमंडल ने सर्किट का दौरा किया और यहां जापान की प्रतिष्ठित सुपर फॉर्मूला रेस आयोजित करने की इच्छा व्यक्त की. यह रेस 2027 में भारत में पहली बार हो सकती है. सुपर फॉर्मूला को एशिया की सबसे तेज और फॉर्मूला-1 के बाद वर्ल्ड की दूसरी सबसे तेज ओपन-व्हील रेसिंग सीरीज मानी जाती है. इसमें कारें 300 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति पकड़ती हैं. रेस के दौरान ड्राइवर का रियल-टाइम डेटा फैंस को उपलब्ध होता है, जिससे इसका वैश्विक फैनबेस 50,000 से ज्यादा है.
3 साल तक इंडियन ग्रांड प्रिक्स का हुआ आयोजन
बीआईसी का इतिहास खुद गवाह है कि यह इंटरनेशनल रेसिंग के लिए पूरी तरह सक्षम है. साल 2011 से 2013 तक लगातार तीन सालों तक यहां इंडियन ग्रांड प्रिक्स का सफल आयोजन हुआ था. पहली रेस 30 अक्टूबर 2011 को हुई, जिसमें जर्मनी के सेबेस्टियन वेट्टल विजेता बने. यह साउथ एशिया में आयोजित पहली फॉर्मूला-1 रेस थी. हालांकि टैक्स और रेगुलेटरी मुद्दों के कारण 2013 के बाद यह आयोजन बंद हो गया था.
हालांकि, 2023 में मोटो जीपी के शानदार आयोजन ने सर्किट की क्षमता को फिर साबित कर दिया और फॉर्मूला-1 की वापसी के लिए दरवाजे खोल दिए. लेकिन रेसिंग बाइक का यह रोमांच भी एक साल में ठंडा पड़ गया, जबकि प्रदेश सरकार के साथ इसके आयोजन के लिए सात साल का अनुबंध था.