पर्थ के बाद एडिलेड में भी भारतीय टीम के लिए कहानी नहीं बदली और ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे वनडे मैच में भी जीत के साथ सीरीज अपने नाम कर ली. इस मैच में भी टीम इंडिया को खराब बैटिंग और फील्डिंग का खामियाजा भुगतना पड़ा. पहले वनडे मैच की तरह ही दूसरे में भी स्टार बल्लेबाज विराट कोहली खाता खोलने में नाकाम रहे, जिसने हर किसी को चौंका दिया. हालांकि, इस बार पूर्व कप्तान रोहित शर्मा ने जरूर एक अर्धशतकीय पारी खेली लेकिन क्या उनकी पारी ही टीम इंडिया पर भारी पड़ गई? क्या अपनी जगह बचाने के लिए रोहित ने टीम का नुकसान करवा दिया?
पर्थ में नाकाम, एडिलेड में चले रोहित
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेले गए पहले मैच में रोहित शर्मा सिर्फ 8 रन बनाकर आउट हो गए थे. उस मुकाबले में भी स्टार ओपनर ऑस्ट्रेलियाई पेस अटैक के सामने शुरुआत में परेशान लग रहे थे. ये रोहित का 7 महीने में पहला इंटरनेशनल मैच और साढ़े चार महीने में पहला क्रिकेट मैच था. ऐसे में उनकी नाकामी हैरान करने वाली नहीं थी और इसलिए दूसरे मैच में उन पर ज्यादा नजरें थीं और उनके लिए इस मैच में रन बनाना बेहद जरूरी था.
ये सीरीज ऐसे वक्त में हुई है, जब रोहित के इंटरनेशनल करियर पर सवाल उठ रहा है. वो 2027 का वर्ल्ड कप खेलना चाहते हैं लेकिन टीम मैनेजमेंट इसके पक्ष में नजर नहीं आ रहा. ऐसे में रोहित के लिए लगातार 2 फेलियर मुश्किल बढ़ाने वाले हो सकते थे लेकिन दूसरे मैच में उन्होंने क्रीज पर लंबा वक्त बिताया और 73 रन की पारी खेली. जहां एक तरफ विराट कोहली लगातार दूसरे मैच में खाता नहीं खोल पाए, वहीं रोहित की ये पारी उनके लिए काफी अहम और हौसला देने वाली थी.
रोहित की बैटिंग का ये सच जानना जरूरी
मगर ‘हिटमैन’ की ये पारी क्या वाकई में टीम के लिए अच्छी थी? क्या वाकई रोहित का ध्यान खुद की लय हासिल करने पर ज्यादा था? इस सवाल के पीछे कुछ खास वजहें हैं. रोहित ने इस मैच में 97 गेंदों का सामना किया और 73 रन बनाए, जिसमें 7 चौके और 2 छक्के शामिल थे. मगर इस दौरान रोहित की शुरुआत जैसी थी, उसे देखकर कहना मुश्किल था कि वो बिल्कुल भी लय में थे या फॉर्मेट के हिसाब से तेज खेलने की कोशिश कर रहे थे. शुरुआती 10 ओवर तक उनका स्कोर 43 गेंदों में 19 रन और 18वें ओवर तक 62 गेंदों 30 रन था. यानि 50 से भी कम का स्ट्राइक रेट.
19वें ओवर में रोहित ने 2 छक्के लगाए, जिसके बाद रफ्तार थोड़ी बढ़ी. मगर अंत तक स्थिति यही रही कि स्टार ओपनर खुलकर बैटिंग करने और लय हासिल करने के लिए जूझते रहे. कुल मिलाकर रोहित की पारी में 57 गेंदों पर कोई रन नहीं आया, जिसमें से एक पर वो आउट भी हुए. उनका स्ट्राइक रेट सिर्फ 75.25 का रहा. उनके करियर को देखें तो पिछली बार किसी वनडे मैच में 50 से ज्यादा गेंदो का सामना करने के बाद इससे खराब स्ट्राइक रेट उनका 15 दिसंबर 2019 को यानि करीब 6 साल पहले वेस्टइंडीज के खिलाफ दिखा था, जब उन्होंने 56 गेंदों में 36 रन (64.28 स्ट्राइक रेट) बनाए थे.
कहां गया रोहित का ‘इन्टेंट’?
पिछले 5 साल, खास तौर पर 2023 के बाद से ही रोहित ने बतौर कप्तान वनडे और टी20 क्रिकेट में अपने खेलने के अंदाज को बदला था. रोहित ने 36-37 की उम्र में अपना अंदाज बदलते हुए आक्रामक बैटिंग का रास्ता अपनाया था, जिसका फायदा वर्ल्ड कप 2023, टी20 वर्ल्ड कप 2024 और कुछ हद तक चैंपियंस ट्रॉफी में दिखा था. रोहित तब टीम के कप्तान थे और उन्होंने ये साफ कर दिया था कि वो टीम की खातिर बेफिक्र, निस्वार्थ और बेखौफ अंदाज में बैटिंग करेंगे, ताकि बाद के बल्लेबाजों को फायदा हो. रोहित जिस ‘इन्टेंट’ वाली बैटिंग की बातें करते थे, वो नदारद थी.
तो फिर अब क्या रोहित ने ये अंदाज छोड़ दिया है? क्या रोहित का ध्यान फिलहाल अपना करियर बचाने पर ज्यादा है? ये बात सही है कि ऑस्ट्रेलिया की ओर से गेंदबाजी अच्छी हुई थी और बाकी बल्लेबाजों को भी परेशानी हुई लेकिन क्या रोहित जैसे बल्लेबाज के लिए एक बार सेट होने के बाद बड़े शॉट्स खेलना मुश्किल भरा था? या फिर ये सब लंबे वक्त बाद बैटिंग करने के साइड इफेक्ट्स हैं, जिसके चलते रोहित वैसी बैटिंग नहीं कर पाए, जिसने उन्हें पिछले 2-3 साल में खास पहचान दिलाई? इन सबका जवाब रोहित की अगली पारी के बाद ही शायद मिल पाएगा.