Yorker in Irani Cup: क्रिकेट में यॉर्कर का नाम आते ही दिलो-दिमाग में जो पहला नाम भारतीय फैंस के जहन में आता है, वो जसप्रीत बुमराह का होता है. बुमराह अपने यॉर्कर के लिए वर्ल्ड फेमस है. दुनिया के बड़े-बड़े धुरंधर बल्लेबाज भी उनके यॉर्कर के आगे घुटने टेक देते हैं. लेकिन, अब जिस गेंदबाज की फेंकी यॉर्कर के बारे में हम बताने जा रहे हैं, उसकी धार और ऱफ्तार भी बुमराह वाले यॉर्कर से कम नहीं हैं. ये यॉर्कर य़श ठाकुर ने डाली, जिस पर उन्होंने उस खिलाड़ी की गिल्ली नाप दी, जिसकी जिंदगी एक नोट के चलते बदली थी.
यश ठाकुर का सटीक यॉर्कर
यश ठाकुर की सटीक यॉर्कर और उसके असर का पूरा नजारा ईरानी कप में विदर्भ और रेस्ट ऑफ इंडिया के बीच खेले जा रहे मुकाबले में दिखा. विदर्भ ने इस मुकाबले में पहले खेलते हुए पहली पारी में 342 रन बनाए. जवाब में रेस्ट ऑफ इंडिया जब खेलने उतरी तो वो सिर्फ 214 रन ही अपनी पहली पारी में बना सकी. रेस्ट ऑफ इंडिया की पहली पारी के दौरान यश ठाकुर की एक ऐसी यॉर्कर देखने को मिली, जिसने उसके खिलाड़ी सारांश जैन के पांव कब उखाड़ दिए, उन्हें पता भी नहीं चला.
रेस्ट ऑफ इंडिया के लिए सारांश जैन 8वें नंबर पर बैटिंग करने उतरे थे. उन्होंने 36 गेदों का सामना कर 10 रन बनाए. मगर उन्हें सामने आई 36वीं गेंद ऐसी रही, जिसके असर से वो बच नहीं पाए. यश ठाकुर की ये यॉर्कर बिल्कुल परफेक्ट और निशाने पर जाकर लगी. सारांश जैन क्या किसी भी बल्लेबाज के लिए इस यॉर्कर के आगे अपने विकेट को बचा पाना मुश्किल होता.
Terrific yorker
Yash Thakur dismisses Saransh Jain with a brilliant delivery
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— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) October 3, 2025
एक नोट ने ऐसे बदली सारांश जैन की जिंदगी
यश ठाकुर की यॉर्कर का शिकार बनने वाले सारांश जैन की कहानी भी जरा हटके हैं. उनके क्रिकेटर बनने के सपने को एक नोट ने बदला है. यहां नोट से मतलब रुपये से नहीं बल्कि कागज पर लिखे उस नोट से है, जो कि उनके पिता ने उनके लिए लिखी थी. सारांश जैन के पिता सुबोध जैन को कैंसर था ऐसे में जब उन्होंने अपने बेटे को देखा तो उन्होंने उसके लिए एक नोट लिखा. पिता ने लिखा- बेटा अब मैं ठीक हूं. अगर तुम अच्छा खेलोगे तो मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगा.पिता का वो नोट सारांश ने अपने पास आज भी संभालकर रखा है, जो कि उनकी कामयाबी का राज भी बताया जाता है.
हालांकि, ईरानी कप में सारांश जैन, य़श ठाकुर के यॉर्कर के सामने कामयाब नहीं हो सके. उन्हें उसके आगे सरेंडर करने को मजबूर होना पड़ा.