PM Narendra Modi 75th Birthday: भारतीय एथलीट्स ने पिछले 3 ओलंपिक में कुल 15 मेडल हासिल किए हैं, जबकि एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारत का प्रदर्शन शानदार रहा है. इसकी बड़ी वजह सरकार की ओर से खेलों को मिल रही मदद है और ये इसलिए संभव हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल से ही खेलों को लगातार हर संभव समर्थन देने का सिर्फ आश्वासन ही नहीं दिया है, बल्कि उसे निभाया भी है. प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन पर उन खास मुहिमों के बारे में आपको बताते हैं, जिनसे पिछले 11 सालों में भारतीय खेल और खिलाड़ियों की स्थिति में सुधार आया है.
टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS)
मई 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने पहली बार शपथ ली थी और उसके दो महीने बाद ही उनकी सरकार ने ओलंपिक में भारत की स्थिति को सुधारने की दिशा में सबसे अहम कदम उठाया. मोदी सरकार ने जुलाई 2014 में टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम यानि TOPS की शुरुआत की, जिसके तहत अलग-अलग खेलों में ऐसे खिलाड़ियों की पहचान की गई, जो ओलंपिक में मेडल के दावेदार हो सकते हैं. इसके तहत चुने गए खिलाड़ियों को हर महीने 50 हजार रूपये का स्टाइपेंड दिया जाता है. साथ ही विदेशों में होने वाले किसी भी टूर्नामेंट या ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए भी खर्चा मिलता है. पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और खास तौर पर नीरज चोपड़ा जैसे सितारों ने ओलंपिक में मेडल जीतकर इस मुहिम की सफलता को साबित किया.
खेलो इंडिया गेम्स
मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी खेल परियोजना अगर कोई है तो यही है. क्रिकेट से इतर देश को ओलंपिक स्तर के खिलाड़ी देने की मुहिम के तहत 2017 में खेलो इंडिया गेम्स की शुरुआत की गई थी. इसका उद्देश्य सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी स्कूल से लेकर कॉलेज तक नए खिलाड़ियों को वो मंच और ट्रेनिंग उपलब्ध कराना है, जिससे आने वाले सालों में ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंट्स में देश की स्थिति बेहतर हो सके. यही कारण है कि पिछले 8 साल में अलग-अलग लेवल पर 19 खेलो इंडिया गेम्स का आयोजन हो चुका है. खेलो इंडिया यूथ गेम्स, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, खेलो इंडिया विंटर गेम्स, खेलो इंडिया पैरा गेम्स और खेलो इंडिया बीच गेम्स के तहत देशभर के अलग-अलग हिस्सों में इन खेलों का आयोजन कर भविष्य के सितारे तैयार किए जा रहे हैं.
खेलो इंडिया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
प्रधानमंत्री मोदी का खेलों के प्रति विजन सिर्फ मेडल जीतने तक सीमित नहीं है, बल्कि युवाओं को खेलों के प्रति आकर्षित करना और उनके समग्र विकास का लक्ष्य है. यही कारण है कि सिर्फ गेम्स का ही आयोजन नहीं किया जाता, बल्कि देश के छोटे-बड़े गांव और शहरों से ऐसे खिलाड़ियों की पहचान करना भी है, जो इन गेम्स में अपनी छाप छोड़ते हैं. इसके लिए खेलो इंडिया सेंटर (1057) और खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (34) बनाए गए हैं, जिनमें पूर्व चैंपियन खिलाड़ी भविष्य के खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते हैं, उनके स्किल्स के साथ स्पोर्ट्स साइंस के जरिए फिटनेस पर ध्यान रखते हैं.
खेलो इंडिया टैलेंट आइडेंटिफिकेशन
जिस तरह ओलंपिक के लिए TOPS तैयार किया गया है, कुछ उसी तरह खेलो इंडिया टैलेंट आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम भी है. अलग-अलग खेलों की नेशनल चैंपियनशिप और कैंप से कुछ खास खिलाड़ियों का सेलेक्शन होता है, जिन्हें फिर देश की सर्टिफाइड एकेडमी में ट्रेनिंग दी जाती है. फिलहाल 2808 ऐसे एथलीट की पहचान हो चुकी है और हर ऐसे ट्रेनी एथलीट पर साल का 6 लाख 28 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं.