किसी भी टीम में कप्तान से यही उम्मीद होती है कि मुश्किल हालातों में वो आगे आकर टीम को संभाले और अपने प्रदर्शन से टीम को बचाए. मगर सिर्फ हिम्मत और जोश से ही काम नहीं लिया जाता, बल्कि इसके साथ ही सही रणनीति अपनाना भी अहम होता है. इंडिया ए के कप्तान जितेश शर्मा ने पहला वाला पहलू तो उतारने की सही से कोशिश की लेकिन दूसरे हिस्से में वो पूरी तरह चूक गए. एशिया कप राइजिंग स्टार्स 2025 के सेमीफाइनल में इंडिया ए को बांग्लादेश के हाथों सुपर ओवर में हार का सामना करना पड़ा. इस हार ने जहां फैंस को निराश किया तो वहीं हर किसी को हैरान भी किया क्योंकि टीम ने सुपर ओवर में फॉर्म में चल रहे युवा बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी को बैटिंग के लिए उतारा ही नहीं.
दोहा में शुक्रवार 21 नवंबर को इंडिया ए और बांग्लादेश ए के बीच टूर्नामेंट का पहला सेमीफाइनल खेला गया. बांग्लादेशी टीम ने पहले बैटिंग करते हुए 194 रन का बेहतरीन स्कोर खड़ा किया. इसके जवाब में टीम इंडिया भी 194 रन ही बना सकी और मैच टाई हो गया. फिर फैसला सुपर ओवर में हुआ और यहां सबको चौंकाते हुए भारत की ओर से कप्तान जितेश शर्मा और नमन धीर उतरे. इस फैसले ने हर किसी को चौंका दिया क्योंकि यही उम्मीद की जा रही थी कि वैभव को भेजा जाना चाहिए.
सुपर ओवर में जितेश ने पहले बैटिंग की लेकिन वो पहली गेंद पर ही बोल्ड हो गए. फिर नए बल्लेबाज आशुतोष शर्मा आए और वो ओवर की दूसरी गेंद पर आउट हो गए. इस तरह 2 ओवर में दो विकेट गंवाने के साथ ही टीम इंडिया का सुपर ओवर खत्म हो गया और वो एक भी रन नहीं बना सकी. बांग्लादेश को एक रन चाहिए था और पहली गेंद पर विकेट गंवाने के बावजूद अगली वाइड गेंद मिलने के कारण उसने मैच जीत लिया.
इंडिया ए सेमीफाइनल हार कर टूर्नामेंट से बाहर हो गई लेकिन इस हार से ज्यादा हर कोई सुपर ओवर में वैभव को न भेजने के फैसले से हैरान था. सिर्फ 14 साल के इस युवा बल्लेबाज ने पहले ही टूर्नामेंट में अपनी धमाकेदार बैटिंग से तहलका मचाया था. इस एशिया कप की 4 पारियों में सिर्फ 98 गेंदों का सामना करते हुए वो सबसे ज्यादा 239 रन बना चुके थे, जिसमें 22 छक्के शामिल थे. सेमीफाइनल में भी वैभव ने सिर्फ 15 गेंदों में ताबड़तोड़ 38 रन कूटकर तेज शुरुआत दिलाई थी. ऐसे में बेहतर तो यही होता कि जबरदस्त फॉर्म में चल रहे वैभव को बैटिंग के लिए उतारा जाता.
मगर कप्तान जितेश और टीम मैनेजमेंट ने इतना अजीबोगरीब फैसला क्यों लिया? मैच खत्म होने के बाद जितेश शर्मा ने इसका खुलासा किया. उन्होंने वैभव को न भेजे जाने के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वैभव और प्रियांश आर्या आम तौर पर पावरप्ले में धुआंधार बैटिंग करते हैं, जबकि डेथ ओवर्स में वो खुद और आशुतोष शर्मा ज्यादा असरदार रहे हैं. जितेश ने कहा कि इसी वजह से उन्होंने और टीम मैनेजमेंट ने ये फैसला लिया था. अब टीम की सोच जो भी रही हो, अच्छी लय में चल रहे बल्लेबाज को न उतारने का फैसला उसके लिए नुकसानदायक ही साबित हुआ.