तीन ऑलराउंडर उतारकर क्या कर लिया? गौतम गंभीर की जिद टीम इंडिया पर पड़ी भारी

टीम इंडिया के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरा अच्छा साबित नहीं हुआ और शुरुआती 3 मैच में ही उसने वनडे सीरीज गंवा दी. नए कप्तान शुभमन गिल और विराट कोहली-रोहित शर्मा की वापसी को लेकर इस सीरीज पर ज्यादा फोकस रहा. मगर इस सीरीज में टीम इंडिया का प्रदर्शन औसत से भी खराब रहा और वो मुकाबले की स्थिति में नहीं दिखी. मगर इसमें खिलाड़ियों के प्रदर्शन के अलावा कोच गौतम गंभीर की जिद भी सवालों के घेरे हैं कि आखिर क्यों उन्होंने दोनों मैच में तीन ऑलराउंडर खिलाने की ठानी, जिसका कोई भी फायदा टीम को नहीं हुआ.

एडिलेड में गुरुवार 23 अक्टूबर को वनडे सीरीज के दूसरे मैच में भी ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को हरा दिया. इस मैच में भारतीय टीम ने पहले बैटिंग की थी और 9 विकेट खोकर 264 रन बनाए थे. ऑस्ट्रेलिया ने 8 विकेट खोकर ये लक्ष्य 47 ओवर के अंदर हासिल कर लिया. इससे पहले पर्थ में खेले गए मुकाबले में मेजबान टीम ने जीत दर्ज की थी. इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने तीसरे मैच से पहले ही सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली.

एक्सट्रा ऑलराउंडर के लिए कुलदीप की कुर्बानी

टीम इंडिया की हार में कप्तान शुभमन गिल, विराट कोहली और केएल राहुल जैस बल्लेबाजों की नाकामी के साथ ही खराब फील्डिंग भी हर किसी के निशाने पर है, जो कि सही भी है. मगर मैच से पहले जो फैसला प्लेइंग-11 को लेकर लिया जाता है, क्या वो इस नाकामी की वजह नहीं है? ये सवाल इसलिए है क्योंकि टीम इंडिया ने दोनों मैच के लिए प्लेइंग-11 में कोई बदलाव नहीं किया. इसका असर ये हुआ कि टीम के सबसे बड़े स्पिनर कुलदीप यादव दोनों मुकाबलों में बाहर रहे और यही सबसे बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है.

कुलदीप को टीम में इसलिए जगह नहीं मिली क्योंकि प्लेइंग-11 में 3 खालिस ऑलराउंडर्स उतारे गए थे, जिनमें से दो – अक्षर पटेल और वॉशिंगटन सुंदर, स्पिनर्स थे. वहीं तीसरे ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी थे. इस फैसले की इकलौती वजह बैटिंग लाइन-अप को गहराई देना था, जिसका असर बॉलिंग के कमजोर होने के रूप में नजर आया. याद रहे कि इस सीरीज में पहले ही जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी जैसे अनुभवी तेज गेंदबाज नहीं हैं. ऐसे में टीम के नंबर-1 विकेटटेकर गेंदबाज कुलदीप का खेलना बेहद अहम था.

ऑस्ट्रेलिया ने उठाया इसका फायदा

पर्थ वनडे को एक बार के लिए छोड़ भी दें तो एडिलेड में कुलदीप की कमी टीम इंडिया को खली. भारतीय टीम ने पहले बैटिंग की थी और ऑस्ट्रेलिया के स्टार लेग स्पिनर एडम जैम्पा ने मिडिल ऑर्डर में 4 विकेट लेकर भारतीय बैटिंग को ध्वस्त कर दिया था. ऐसे में यही काम कुलदीप भी कर सकते थे. खास तौर पर जब मैथ्यू शॉर्ट पिच पर नजर जमा रहे थे, तो कुलदीप वहां काम आ सकते थे क्योंकि इस बल्लेबाज को स्पिनर्स के खिलाफ परेशानी का सामना करना पड़ता रहा है. इसी तरह मिचेल ओवन भी स्पिनर्स के सामने संघर्ष करते हैं, जबकि 6 वनडे मैच में सिर्फ 10 रन बनाने वाले अनुभवहीन युवा कूपर कॉनोली के लिए तो कुलदीप पूरी तरह से पहेली साबित हो सकते थे.

ऑस्ट्रेलिया ने एक वक्त पर 187 रन तक 5 विकेट गंवा दिए थे और यहां पर कुलदीप जैसा स्पिनर असरदार साबित हो सकता था. मगर स्टार स्पिनर की कमी टीम इंडिया को पूरी तरह खली और यही 3 बल्लेबाज हार-जीत का बड़ा अंतर साबित हुए. शॉर्ट ने 78 गेंदों में 74 रन, ओवन ने 23 गेंदों में 36 और कॉनोली तो 53 गेंदों में नाबाद 61 रन के साथ टीम को जिताकर ही लौटे.

ऐसा रहा तीनों ऑलराउंडर्स का प्रदर्शन

अब बात अगर टीम इंडिया के ऑलराउंडर्स की करें तो उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा. अक्षर ने बल्ले से कमाल दिखाया और 41 गेंदों में तेजी से 44 रन बनाए. मगर सुंदर ने 14 गेंदों में 12 और नीतीश ने 10 गेंदों में सिर्फ 8 रन बनाए. वहीं गेंदबाजी में तीनों ने मिलकर 20 ओवर किए और इनमें 113 रन खर्चते हुए सिर्फ 3 विकेट ही हासिल किए. इनमें भी नीतीश खासे महंगे साबित हुए, जिन्होंने अपने 3 ओवर में 24 रन दिए और कोई सफलता उन्हें नहीं मिली. यानि साफ है कि अगर टीम इंडिया बैटिंग को गहराई देने पर फोकस करने के बजाए गेंदबाजी को भी मजबूती देने की सोचती और कुलदीप जैसे गेंदबाज को ड्रॉप नहीं करती तो मैच के साथ ही सीरीज का भी नतीजा अलग हो सकता था.