कुलदीप यादव हो गए पहले से भी ज्यादा खतरनाक, ICC का एक फैसला बना इसकी वजह

साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में टीम इंडिया ने 2-1 से जीत दर्ज की और इस जीत के सबसे बड़े स्टार रहे पूर्व कप्तान विराट कोहली. सीरीज के तीनों ही मैच में विराट ने 50 से ज्यादा के स्कोर किए और सबसे ज्यादा 302 रन बनाए. इसलिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला. आखिरी मैच में भी कोहली ने नाबाद अर्धशतक जमाया. मगर कोहली के अलावा कुलदीप यादव की भी इस सफलता में बड़ी भूमिका रही, जिन्होंने दोनों टीमों में मिलाकर सबसे ज्यादा 9 विकेट हासिल किए और जो दो मैच टीम इंडिया जीती, दोनों में ही कुलदीप के एक स्पैल ने बाजी पलटी और इसमें बड़ी मदद की ICC के नए नियम ने, जिसने भारतीय स्पिनर की ताकत बढ़ा दी.

विशाखापत्तनम में सीरीज के आखिरी मैच में टीम इंडिया ने 9 विकेट से जीत दर्ज की. भारतीय टीम ने पहले बॉलिंग करते हुए साउथ अफ्रीका को 270 रन के स्कोर पर रोक दिया. फिर यशस्वी जायसवाल के शतक और विराट कोहली-रोहित शर्मा के अर्धशतकों की मदद से टीम इंडिया ने आसानी से जीत दर्ज कर ली. मगर जहां सारी वाहवाही इन 3 बल्लेबाजों ने बटोरी, वहीं कुलदीप के एक स्पैल ने साउथ अफ्रीका को बड़े स्कोर तक पहुंचान से रोका. कुलदीप ने इस मुकाबले में सिर्फ 41 रन देकर 4 विकेट हासिल किए.

ICC ने बदल दिया गेंदों को लेकर नियम

संयोग से टीम इंडिया की दोनों जीत में कुलदीप यादव सबसे सफल गेंदबाज थे. अब वैसे तो अपनी रिस्ट स्पिन के कारण कुलदीप यादव पहले से ही तीनों फॉर्मेट में कमाल बेहद सफल रहे हैं. मगर इस सीरीज में उनकी इस सफलता में, खास तौर पर आखिरी वनडे मैच में ICC के नियमों में एक बड़े बदलाव का असर दिखा, जिसने कुलदीप की ताकत में इजाफा किया. ये नियम है वनडे फॉर्मेट में नई गेंदों के इस्तेमाल का. असल में पिछले 10 साल से भी ज्यादा वक्त से वनडे क्रिकेट में एक पारी में दोनों तरफ से नई गेंद का इस्तेमाल होता रहै है. इसके चलते बल्लेबाजों के लिए रन बनाना पहले से भी ज्यादा आसान हो गया. मगर इसके चलते गेंदबाजों को परेशानी हो रही थी और लगातार बड़े स्कोर बन रहे थे.

वनडे फॉर्मेट में गेंद और बल्ले के बढ़ते असंतुलन को देखते हुए बदलाव की मांग हो रही थी. यहीं पर ICC ने इस साल नियम में बड़ा बदलाव किया. अब वनडे मैच की एक पारी के दौरान दोनों ओर से नई गेंद से गेंदबाजी जरूर होती है लेकिन ये सिर्फ 34वें ओवर तक चलता है. इसके बाद फील्डिंग टीम दोनों में से कोई एक गेंद चुनेगी और फिर बचे हुए 16 ओवर उसी गेंद से पूरे किए जाएंगे. इस एक नियम ने गेंदबाजों कों कुछ मदद पहुंचाई है क्योंकि एक ही गेंद के इस्तेमाल से वो गेंद पुरानी और नर्म हो जाती है और ऐसे में बल्लेबाजों के लिए बड़े हिट लगाना आसान नहीं हो रहा है.

विशाखापत्तनम में दिखाया इसका असर

कुलपदीप यादव जैसे रिस्ट स्पिनर्स के लिए ये और भी अहम साबित हो रहा है क्योंकि कलाई वाले स्पिनर्स के लिए गेंद को ग्रिप करना और और फिर सही लाइन-लेंग्थ पकड़ना हमेशा से मुश्किल साबित होता है. मगर एक गेंद के पुराने होने पर ये गेंदबाजों के लिए खेल पलट गया है. इसका उदाहरण विशाखापत्तनम में खेले गए मुकाबले में दिखा भी. असल में 39वें ओवर में कुलदीप का कमाल देखने को मिला, जब उन्होंने सिर्फ 3 गेंदों के अंदर डेवाल्ड ब्रेविस और मार्को यानसन के विकेट झटक लिए. इसके बाद कुलदीप ने 43वें और 45वें ओवर में 1-1 विकेट झटकते हुए कुल 4 शिकार किए.

कहना गलत नहीं होगा कि ICC के एक फैसले ने कुलदीप यादव जैसे स्पिनर्स की ताकत को पहले से भी ज्यादा बढ़ा दिया है. सामान्य परिस्थितियों में भी वैसे तो कुलदीप कमाल के गेंदबाज हैं लेकिन नई बॉल में बदलाव वाले इस नियम ने उनको पहले से भी ज्यादा खतरनाक बना दिया है. यही कारण है कि अब वो पारी के आखिरी 10 ओवर में भी लगातार गेंदबाजी करते हुए दिख रहे हैं और अपना असर छोड़कर बल्लेबाजों के लिए बड़ी आफत साबित हो रहे हैं.