डेढ़ साल में 7 बल्लेबाज आजमा कर भी खाली हाथ, टीम इंडिया को भारी पड़ रहा गंभीर का ये प्रयोग

टीम इंडिया के हेड कोच के रूप में गौतम गंभीर इस वक्त लगातार सवालों से घिरे हैं और आलोचकों के निशाने पर हैं. महज डेढ़ साल के अपने कार्यकाल में ही गंभीर ने टीम इंडिया को लिमिटेड ओवर्स में 2 खिताब जिताए हैं लेकिन टेस्ट फॉर्मेट में टीम की स्थिति लगातार बिगड़ रही है. गंभीर के आने के बाद अपने ही घर में टीम इंडिया ने पिछले 12-13 महीनों में 4 टेस्ट मैच गंवा दिए हैं, जो कि कुछ साल पहले बेहद दुर्लभ था. इसकी कई वजहें हैं लेकिन एक बड़ी वजह गंभीर के अलग-अलग एक्सपेरिमेंट हैं और इसमें सबसे ज्यादा परेशानी खड़ी कर रहा नंबर-3 की पोजिशन में हो रहे लगातार बदलाव, जिसकी एक बानगी कोलकाता टेस्ट में भी दिखी.

साउथ अफ्रीका के बीच पहले टेस्ट मैच में टीम इंडिया ने सबको चौंकाते हुए अपने नंबर-3 के बल्लेबाज साई सुदर्शन को ड्रॉप कर दिया था. सुदर्शन को उससे पहले लगातार दो टेस्ट सीरीज, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज, में इस पोजिशन पर उतारा गया था और उन्हें नंबर-3 में टीम इंडिया का भविष्य माना जा रहा था. हालांकि, उनका प्रदर्शन पूरी तरह से संतोषजनक नहीं था लेकिन 22 साल की उम्र में उनकी ये सिर्फ शुरुआत थी. मगर कोलकाता टेस्ट में कोच गंभीर ने सुदर्शन को ड्रॉप करते हुए ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर को ये जगह दे दी.

नंबर-3 की पोजिशन पर लगातार फेर-बदल

ये कोई पहला मौका नहीं है, जब हाल के वक्त में टेस्ट टीम में नंबर-3 के बल्लेबाज में फेरबदल हुआ है. पिछले करीब डेढ़ साल में भारतीय बैटिंग ऑर्डर में ‘वन-डाउन’ पोजिशन पर खेलने वाले सुंदर सातवें बल्लेबाज बने. जी हां, गंभीर के कोच बनने के बाद से अभी तक 7 अलग-अलग बल्लेबाज नंबर-3 की पोजिशन पर कम से कम एक पारी में बैटिंग कर चुके हैं. गंभीर पिछले साल जब टीम इंडिया के कोच बने तब ये रोल शुभमन गिल संभाल रहे थे, जिन्होंने इस दौरान 7 मैच में इस नंबर पर बैटिंग की.

इस दौरान गिल के कप्तान बनकर चौथे नंबर पर फिक्स होने से पहले भी उनकी जगह केएल राहुल और यहां तक कि विराट कोहली तक को एक-एक मैच में नंबर-3 पर बल्लेबाजी के लिए भेजा गया था. वहीं उनके अलावा एक मैच में देवदत्त पडिक्कल को और एक बार इंग्लैंड में करुण नायर को भी उतारा गया. इंग्लैंड दौरे पर ही इस रोल में सुदर्शन को पहली बार मौका दिया गया और वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज तक वो लय हासिल करते हुए दिख रहे थे लेकिन अब साउथ अफ्रीका के खिलाफ अचानक उन्हें फिर इस रोल से हटा दिया गया.

द्रविड़, पुजारा जैसी स्थिरता की गैरहाजिरी

टेस्ट क्रिकेट में हमेशा से सफलता के लिए प्लेइंग-11 और कम से कम बैटिंग ऑर्डर में निरंतरता और स्थिरता का एक बड़ा योगदान रहा है. टीम इंडिया की ही बात करें तो पिछले 25 सालों में लंबे समय तक नंबर-3 पर राहुल द्रविड़ और नंबर-4 पर सचिन तेंदुलकर साथ-साथ खेलते रहे. इन दिग्गजों के बाद चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली ने ये जिम्मेदारी संभाली.

मगर पुजारा के टीम से बाहर होने के बाद से ही भारतीय टीम इसका समाधान हासिल नहीं कर पाई है. जब शुभमन गिल यहां पर थोड़ा सेटल होने लगे थे, तभी विराट कोहली ने संन्यास का ऐलान कर दिया और फिर गिल को उनकी 4 नंबर की जगह दे दी गई, जहां उन्होंने खूब रन बना लिए हैं. मगर नंबर-3 अभी भी तय नहीं है और फिलहाल कोच गंभीर के लगातार एक्सपेरिमेंट इससे सुलझाने के बजाए उलझाते हुए दिख रहे हैं.