गौतम गंभीर के खिलाफ 4 साल बाद केस रद्द, हाईकोर्ट में जीत के बाद इस शख्स को कहा- थैंक्स

भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को दिल्ली हाईकोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम गंभीर के खिलाफ कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं के कथित अवैध जमाखोरी और वितरण का आपराधिक केस शुक्रवार को खारिज कर दिया. ये मामला साल 2021 से चला आ रहा था, हालांकि 4 साल के बाद हाईकोर्ट ने सभी दलीलें सुनने के बाद पूरा आपराधिक मुकदमा ही खारिज कर दिया. केस खारिज ने होने के बाद गंभीर ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया.

गौतम गंभीर को हाईकोर्ट से मिली राहत

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने साफ शब्दों में कहा कि केस पूरी तरह रद्द किया जाता है. गंभीर ने अपनी पत्नी नताशा गंभीर, माँ सीमा गंभीर और गौतम गंभीर फाउंडेशन के साथ मिलकर इस केस को चुनौती दी थी. मामला 2021 का है जब दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग ने आरोप लगाया था कि पूर्व सांसद गौतम गंभीर और उनके फाउंडेशन ने बिना वैध लाइसेंस के फेबीफ्लू जैसी कोविड दवाएं जमा कीं और जरूरतमंदों में बांटीं. इसके लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 18(c) और 27(b)(ii) के तहत केस दर्ज किया गया था, जिसमें बिना लाइसेंस दवा बेचने या बांटने पर कम से कम तीन साल और ज्यादा से ज्यादा पांच साल तक की सजा का प्रावधान है. कोट का फैसला आने के बाद गंभीर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी शेयर किया और लिखा, ‘मुझे हमेशा न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा रहा है! धन्यवाद जय आनंद देहाद्राई.’

View this post on Instagram

A post shared by Gautam (@gautamgambhir55)

4 साल बाद रद्द किया केस

ट्रायल कोर्ट ने गंभीर, उनकी पत्नी, मां और फाउंडेशन की सीईओ अपराजिता सिंह समेत सभी को समन जारी किया था. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सितंबर 2021 में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. हालांकि अप्रैल 2025 में कोर्ट ने रोक हटा ली थी, जिसके बाद गंभीर ने दोबारा आवेदन देकर रोक बहाल करने और केस रद्द करने की मांग की थी.

ड्रग कंट्रोल विभाग के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ताओं ने स्वीकार किया है कि दवाएं बांटी गई थीं, भले ही बेची नहीं गईं. उनका तर्क था कि लाइसेंस के बिना वितरण भी अपराध है. लेकिन हाईकोर्ट ने सभी दलीलें सुनने के बाद पूरा आपराधिक मुकदमा ही खारिज कर दिया. कोर्ट के इस फैसले से गौतम गंभीर और उनके परिवार को बड़ी राहत मिली है. महामारी के कठिन दौर में जरूरतमंदों की मदद करने के इरादे से शुरू हुआ यह काम कानूनी पेंच में फंस गया था. अब कोर्ट के फैसले ने इस विवाद पर विराम लगा दिया है.