राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन एक बार फिर आंतरिक कलह की चपेट में फंस गया है. लंबे समय से गुटबाजी और नेतृत्व विवादों से जूझ रही यह संस्था अब रणजी ट्रॉफी जैसे बड़े घरेलू टूर्नामेंट के लिए दो अलग-अलग राज्य टीमों के ऐलान को लेकर नई मुसीबत में घिर गई है. इस स्थिति ने न सिर्फ टीम सेलेक्शन पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राजस्थान के युवा क्रिकेटरों के करियर पर भी सवालिया निशान लगा दिया है. सवाल यह है कि राजस्थान की ओर से रणजी मुकाबलों में कौन सी टीम खेलेगी.
राजस्थान की दो टीमों का ऐलान
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अंदर चल रही खींचतान अब मैदान पर उतर आई है. संगठन के दो गुटों ने अपनी-अपनी रणजी टीमों का ऐलान कर दिया है. एक गुट एडहॉक कमेटी के सदस्यों का है, जबकि दूसरा गुट कमेटी के कन्वीनर डीडी कुमावत का है. यह ना सिर्फ बीसीसीआई के नियमों का उल्लंघन है, क्योंकि एक राज्य की एक ही टीम होनी चाहिए, बल्कि इससे खिलाड़ियों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. अंदरूनी जानकारी के मुताबिक, इस मामले की सूचना बीसीसीआई तक पहुंच चुकी है और बोर्ड आरसीए पर कड़ी निगरानी रख रहा है. अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो बोर्ड सीधे हस्तक्षेप कर सकता है, जो राजस्थान क्रिकेट के लिए भारी पड़ सकता है.
राजस्थान खेल परिषद के अध्यक्ष ने जताई चिंता
इस बीच, राजस्थान खेल परिषद के अध्यक्ष नीरज के पवन ने स्थिति पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि आरसीए से जुड़ी दो टीमों समेत अलग-अलग शिकायतें विभाग के पास लगातार आ रही हैं. जरूरत पड़ने पर इनकी गहन जांच कराई जाएगी. पवन ने साफ किया कि खिलाड़ियों और खेल हित में राज्य स्तर पर बड़े कदम उठाए जा सकते हैं. अगर परिस्थिति बिगड़ी, तो खेल मंत्री के निर्देश पर गठित संचालन समिति के माध्यम से टूर्नामेंट सुचारू रूप से कराए जा सकते हैं. उनका यह बयान राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका का संकेत देता है, ताकि विवाद बढ़कर आरसीए के निलंबन तक न पहुंचे.
पहले भी सामने आया था ऐसा विवाद
यह आरसीए के लिए कोई नई समस्या नहीं है. राज्य सरकार ने पहले भी दो बार एडहॉक कमेटी का गठन किया था, लेकिन दोनों ही प्रयास गुटबाजी का शिकार हो गए. पहली बार विधायक जयदीप बिहाणी और धनंजय सिंह खीवसर के बीच तनातनी सामने आई थी. अब इतिहास खुद को दोहरा रहा है, जहां डीडी कुमावत और धनंजय सिंह खीवसर के बीच टकराव चरम पर है. वहीं, बीसीसीआई ने इस मामले में सख्त रुख अपनाने के संकेत दिए हैं. अगर आरसीए में जल्द हल नहीं निकालता है, तो राजस्थान की राज्य टीम पर बैन लगने का खतरा मंडरा रहा है.